भारतवर्ष विकसित बनें, कुछ ऐसा काज कीजिए। भारतवर्ष विकसित बनें, कुछ ऐसा काज कीजिए।
संविधान का जर्जर तन मैं अंधों को दिखलाता हूँ । बहरों की बस्ती में पीड़ा लोकतंत्र की गाता हूँ । ... संविधान का जर्जर तन मैं अंधों को दिखलाता हूँ । बहरों की बस्ती में पीड़ा लोकतंत्र ...
देश के धुरंधरों को एक सलाम मेरा भी जश्न के मौके पर एक पैगाम मेरा भी...! देश के धुरंधरों को एक सलाम मेरा भी जश्न के मौके पर एक पैगाम मेरा भी...!
यही समय है उसे मेहतर हो जाना होगा। यही समय है उसे मेहतर हो जाना होगा।
मुझे नहीं खाना न मुझसे खाया जाना यह श्राद्ध का खाना। मुझे नहीं खाना न मुझसे खाया जाना यह श्राद्ध का खाना।
क़लम की धार से चाहे बदल देना सभी मंज़र सदाकत जो अलग करती नहीं ऐसी दया रखना...! क़लम की धार से चाहे बदल देना सभी मंज़र सदाकत जो अलग करती नहीं ऐसी दया रखना...!